हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व होता है. हर महीने के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या तिथि पड़ती है. लेकिन धार्मिक महत्व के अनुसार आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि बहुत लाभदायक होती है. इस अमावस्या को हलहारिणी और अषाढ़ी अमावस्या भी कहते हैं. इस अमावस्या के दिन किसान हल और खेत में उपयोग होने वाली चीजों की पूजा करते हैं. ये महीना किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस दिन किसान पूजा – पाठ कर हरी- भरी फसलों की कामना करते हैं. अमावस्या का दिन पितरों के श्राद के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस दिन पितरों के तर्पण हेतु पवित्र नदी में स्नान और दान- पुण्य किया जाता है. आइए जानते हैं आषाढ़ महीने के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में.

आषाढ़ अमावस्या का शुभ मुहूर्त

इस बार आषाढ़ मास का आरंभ 25 जून को कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हुआ था. इस बार अमावस्या तिथि 9 जुलाई 2021 को सुबह 05 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 10 जुलाई को सुबह 06 बजकर 46 पर होगी.

अमावस्या की पूजा विधि

अमावस्या के दिन सुबह- सुबह उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें. इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें और फिर कर्मकांड कर पितरों का तर्पण करें. इस दिन पितरों की विधि- विधान से पूजा करें. कुछ लोग पितरों की आत्मा के शांति के लिए व्रत भी रखते हैं. ब्राह्मणों को खाना खिलाएं. इसके बाद दान- दक्षिणा दें.

अमावस्या का महत्व

शास्त्रों में अमावस्या का दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस दिन लोग पवित्र नदी में स्नान कर पितरों का तर्पण करते हैं. इस दिन कई लोग पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए शुभ अनुष्ठान करते हैं. ये दिन पितरों के कर्म और श्राद के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है.

आषाढ़ अमावस्या पर करें ये उपाय

अमावस्या के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए फलाहार उपवास करें और किसी गरीब को दान- दक्षिणा दें. इस दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और शाम के समय में दीपक जलाना चाहिए. इस खास दिन जरूरतमंद लोगों को अन्न, कपड़े आदि चीजों का दान देना चाहिए.