संसद का मॉनसून सत्र जारी है और इस सत्र के दौरान ही सोमवार को केंद्र सरकार की तरफ से सदन में बेरोजगारी से जुड़े आकड़ें पेश किए गए हैं. केंद्र सरकार पर विपक्ष ने बेरोजगारी को लेकर निशाना साधा. विपक्ष ने सरकार से शहरों में बढ़ती बेरोजगारी को लेकर सवाल किया था. जवाब में सरकार ने कई ऐसे आंकड़ों को पेश किया जो रोजगार से जुड़े थे.
27 लाख करोड़ के पैकेज का जिक्र
विपक्ष ने श्रम और रोजगार मंत्रालय से सवाल किया था कि कोविड-19 महामारी से उबरने की प्रक्रिया के एक हिस्से के तौर पर बेरोजगारी के संकट को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने कोई कदम उठाया है? इसके अलावा सरकार से पूछा गया था कि शहरी बेरोगजारी संकट को दूर करने के लिए मनरेगा की तर्ज पर कोई रोजगार योजना शुरू करने की योजना है? इस सवाल पर केंद्र सरकार में श्रम और रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली की तरफ से जवाब दिया गया.
उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान देश में रोजगार के अवसरों को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए हैं. उन्होंने आत्म निर्भर भारत के अलावा प्रवासी मजदूरों, संगठित और असंगठित कामगारों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के मकसद से शुरू किए गए 27 लाख करोड़ रुपए के वित्तीय पैकेज का भी जिक्र किया.
ईपीएफ में केंद्र सरकार से मदद
उन्होंने बताया कि सुरक्षा लाभ के साथ ही साथ रोजगार का सृजन करने के लिए नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करने और रोजगार को वापस पटरी पर लाने के लिए 10 अक्टूबर 2020 से आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना की शुरुआत की गई है. उन्होंने कहा कि ईपीएफओ की तरफ से चलाई जा रही यह योजना इम्प्लॉयर पर वित्तीय दबाव को कम करती है. साथ ही साथ उन्हें और ज्यादा कर्मियों को हायर करने के लिए भी प्रोत्साहित करती है.
उन्होंने कहा कि एबीआरवाई के तहत, भारत सरकार दो वर्ष की अवधि के लिए ईपीएफओ से पंजीकृत प्रतिष्ठानों की कर्मचारी संख्या के आधार पर, उन नए कमर्चारियों हेतु, जिनका मासिक वेतन 15000/- रुपए प्रतिमाह से कम है, कर्मचारियों के अंशदान (वेतन का 12%) तथा नियोक्ताओं के देय अंशदान (वेतन का12%)-दोनों का या सिर्फ कर्मचारियों का अंशदान उठा रही हैं. योजना के तहत नए कर्मचारियों में वे कर्मचारी शामिल हैं जिन्होंने कोविड-19 के दौरान अपना रोजगार गंवा दिया.
और कौन-कौन से कदम
रामेश्वर तेली ने बताया कि प्रधान मंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीके वाई) के तहत, भारत सरकार ने ईपीएफ के तहत नियोक्ताओं के 12% अंशदान और कर्मचारियों के 12% के अंशदान-दोनों का योगदान किया है जो कि 100 कर्मचारियों तक रखने वाले प्रतिष्ठानों के 90% ऐसे कर्मचारियों, जो 15000/- रुपए से कम कमाते हैं, के जिए मार्च से अगस्त, 2020 के वेतन माह हेतु मजदूरी का कुल 24% है.
उन्होंने जानकारी दी कि इससे कोविड की अवधि के दौरान ईपीएफओ से पंजीकृत प्रतिष्ठानों में रोजगार प्रदान कराने में सहायता मिली है. उन्होंने कहा कि इन पहलों के अलावा, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्वच्छ भारत मिशन, स्मार्ट सिटी मिशन, जीणोद्धार और शहरी रूपांतरण हेतु अटल मिशन, सभी के लिए आवास, अवसंरचना विकास और और औद्योगिक गलियारे जैसे सरकार के फ्लैगशीप कायक्रमों में उत्पादक रोजगार के अवसर सृभजत करने की संभावना है.
0 टिप्पणियाँ