भारतीय पहलवान रवि दहिया टोक्यो ओलिंपिक के फाइनल में पहुंचने वाले दूसरे पहलवान बन गए. उन्होंने 57 किलो वर्ग के सेमीफाइनल में कजाखस्तान के नूरइस्लाम सानायेव को हराया. चौथी वरीयता प्राप्त भारतीय 2-9 से पीछे था लेकिन दहिया ने वापसी करते हुए अपने विरोधी के दोनों पैरों पर हमला किया और उसके गिरने से जीतने में कामयाब रहे. इससे पहले सुशील कुमार ने 2012 लंदन ओलिंपिक में फाइनल में जगह बनाकर रजत पदक जीता था. दहिया ने इससे पहले दोनों मुकाबले तकनीकी दक्षता के आधार पर जीते थे.इस मुकाबले के दौरान विरोधी पहलवान नूरइस्लाम सानायेव ने रवि दहिया को काट लिया. उसने भारतीय पहलवान की बाजू पर दांत चुभो दिए. जब रवि ने नूरइस्लाम के कंधे मैट पर टिकाए तब उसने भारतीय पहलवान को काटा. उसने काफी अंदर तक दांत गड़ा दिए. लेकिन भारतीय पहलवान ने भी दर्द को पीते हुए नूरइस्लाम को छोड़ा नहीं. उन्होंने विरोधी का कंधा पूरी तरह से टिकाया और जीत हासिल की. इसी दांव के दम पर रवि दहिया ने हारी बाजी पलट दी थी.

टोक्यो ओलिंपिक के फाइनल में पहुंचकर रवि दहिया भारतीय कुश्ती के नए ‘पोस्टर बॉय’ बन गए. 23 साल के रवि नूर सुल्तान में 2019 विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतकर टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने के बाद वह सुर्खियों में आए. वह फिर भी खुश नहीं थे और रूस के जावुर युगुएव से सेमीफाइनल में मिली हार के बारे में ही सोच रहे थे. उन्होंने कहा था, ‘मैं क्या कहूं. हां, मैंने ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया लेकिन मेरे सेंटर से ही ओलिंपिक पदकधारी निकले हैं. मैं कहीं भी नहीं हूं.’दहिया दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में प्रशिक्षण लेते हैं जहां से पहले ही भारत को दो ओलिंपिक पदक विजेता - सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त - मिल चुके हैं. उनके पिता राकेश कुमार ने उन्हें 12 साल की उम्र में छत्रसाल स्टेडियम भेजा था, तब से वह महाबली सतपाल और कोच वीरेंद्र के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग करते रहे हैं. उनके पिता ने कभी भी अपनी परेशानियों को दहिया की ट्रेनिंग का रोड़ा नहीं बनने दिया. वह रोज खुद छत्रसाल स्टेडियम तक दूध और मक्खन लेकर पहुंचते जो उनके घर से 60 किलोमीटर दूर था. वह सुबह साढ़े तीन बजे उठते, पांच किलोमीटर चलकर नजदीक के रेलवे स्टेशन पहुंचते. रेल से आजादपुर उतरते और फिर दो किलोमीटर चलकर छत्रसाल स्टेडियम पहुंचते.

रवि दहिया ओलिंपिक में पदक लाने वाले पांचवें भारतीय पहलवान हैं. केडी जाधव भारत को कुश्ती में पदक दिलाने वाले पहले पहलवान थे जिन्होंने 1952 के हेलंसिकी ओलिंपिक में कांस्य पदक जीता था. उसके बाद सुशील ने बीजिंग में कांस्य और लंदन में रजत पदक हासिल किया. सुशील ओलिंपिक में दो व्यक्तिगत स्पर्धा के पदक जीतने वाले अकेले भारतीय बने. हाल ही में पीवी सिंधु ने उनकी बराबरी की. लंदन ओलिंपिक में योगेश्वर दत्त ने भी कांस्य पदक जीता था. वहीं साक्षी मलिक ने रियो ओलिंपिक 2016 में कांस्य पदक हासिल किया था.