उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच पार्टी टिकट न मिलने से नाराज नेताओं के बागी तेवर सामने आ रहे हैं. इसी कड़ी में अब मथुरा (Mathura) के भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता एसके शर्मा (SK Sharma) ने पार्टी से इस्तिफा दे दिया है. मांट विधानसभा सीट (Mant Assembly Seat) से टिकट कट होने पर शर्मा ने BJP पर कई आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि BJP में राम नाम की लूट मची है कोई विचारधारा नहीं रही, ईमानदारी तो कोसो दूर हो गई है.

मंगलवर को सर्वेश्वरी सदन में आयोजित पत्रकार वार्ता में मांट विधानसभा से टिकट न मिलने से एस.के. शर्मा ने कहा कि वह सन् 1980 से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े हुए हैं. एसके शर्मा ने कहा कि भाजपा को मजबूत बनाने के लिये अपना सर्वस्त्र न्यौंछावर कर दिया, तन-मन-धन सब स्वाहा हो गया. मांट विधानसभा से इस बार मेरा सवा लाख वोट प्राप्त करने का लक्ष्य था, बीते पांच साल में ऐसा कोई गांव, नगला, मौजा, कस्बा नहीं बचा जहां मैंने अपनी पकड़ न बनाई हो.

2017 में मिला था BJP से टिकट

आपको बताते चलें कि एस के शर्मा को भारतीय जनता पार्टी की तरफ से मांट विधानसभा सीट से टिकट कट जाने के कारण उन्होंने भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा दे दिया है हालांकि 2017 में एस के शर्मा द्वारा भारतीय जनता पार्टी की तरफ से प्रत्याशी घोषित किया गया था जिसमें उनकी हार हुई थी. लेकिन इस बार उनको टिकट ना मिलने के कारण वह भारतीय जनता पार्टी से नाराज हुए हैं और पार्टी से अपना इस्तीफा दे दिया है. अब देखना है कि वह राजनीति को लेकर अपनी क्या रणनीति बनाते हैं या फिर किसी और पार्टी के साथ चलकर अपनी राजनीति की शुरुआत करेंगे यह जानकारी वह स्वयं ही 19 जनवरी को जनता के बीच में देंगे.

भाजपा के कारण मेरे करोड़ों रूपये खर्च हुए: शर्मा

उन्होंने रोते हुए पार्टी से त्यागपत्र देने का ऐलान करते हुए बताया कि भाजपा के कारण मेरे करोड़ों रूपये खर्च हो गये. 2009 से 2022 तक के विभिन्न चुनावों में पार्टी ने मेरे साथ विश्वासघात किया है. मैनें पार्टी के लिए पूरे देश में काम किया है. जब भी पार्टी ने संगठन मजबूती के लिए रूपये मांगे दिए. मांट में मुझे कमजोर करने के लिये केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के फंड से 5 करोड़ के कार्य कराये गये. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा में चरित्र, नैतिकता, सिद्धांत समाप्त हो गया है मैं कल अपने समर्थकों से विचार-विमर्श कर तय करूंगा कि विधानसभा चुनाव लड़ना है कि नहीं.