बीते हफ्ते आए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NHFS) ने भारतीय दम्पत्तियों के सेक्स सम्बन्ध को लेकर कई खुलासे किए हैं. इस सर्वे का कहना है कि 82% भारतीय महिलाएं अपने पति से सेक्स को लेकर ना कह सकती हैं. इस सर्वे के मुताबिक़ सबसे अधिक लक्षद्वीप की महिलाएं अपने चुनाव को लेकर मुखर हैं. वहीं लद्दाख और जम्मू कश्मीर(Jammu & Kashmir) की स्त्रियों में सर्वाधिक झिझक भरी हुई है. वहां केवल तक़रीबन 60% और 65%  महिलाओं ने थके होने या मन न होने पर सेक्स को मना करने की बात की. 

बिहार और उत्तर प्रदेश की महिलाएं भी खुलकर मना करने के पक्ष में हैं 

देश में अपेक्षाकृत पिछड़े माने जाने प्रदेशों बिहार और उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) की महिलाओं ने भी शारीरिक सम्बन्ध के मामले में 'मन न होने पर पति को मना करने' की बात पर स्पष्ट रूप से अपना पक्ष रखा.  बिहार की 81% से अधिक महिलाओं ने इस मामले में अपनी असहमति खुलकर रखने की बात की, वही उत्तर प्रदेश की 83 फीसदी महिलाएं मना करने को लेकर मुखर नज़र आईं. 

पूर्वोत्तर भारत की महिलाएं हैं अपनी असहमति को लेकर स्पष्ट 

भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों(North Eastern States) की ख़बर ली जाए तो यह सर्वे सीधे तौर पर बताता है कि इन राज्यों की स्त्रियां अपनी सहमति और असहमति को लेकर एकदम स्पष्ट हैं. मेघालय(लगभग 74%) और सिक्किम (लगभग 78%) को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश राज्यों में 80% से अधिक स्त्रियों ने अपनी 'मनाही' खुले तौर पर दर्ज की है. मिजोरम इस मामले में अव्वल है जहां 93% महिलाओं ने कमान अपने हाथ रखी है. 

क्या हाल है दिल्ली, पंजाब और हरियाणा का 

देश की राजधानी दिल्ली जो कि कई तरह के स्त्री अधिकार सम्बन्धी मामलों का एपिसेंटर है, इन पक्षों को लेकर बहुमत के साथ है. दिल्ली की 88 फीसद महिलाएं अपनी असहमति को लेकर सजग हैं वहीं पंजाब की 73 और हरियाणा की 84 फ़ीसद महिलाएं ही खुलकर बोल पाती हैं. पंजाब से पुरुषों को लेकर एक ख़तरनाक डेटा भी सामने आया है जिसमें हर दस में लगभग छः पुरुष असहमति के बाद भी अपनी पत्नी से शारीरिक सम्बन्ध बनाने में यक़ीन रखते हैं.